नई दिल्ली(एजेंसी)। एशियाई विकास बैंक (ADB) ने मजबूत सार्वजनिक और निजी निवेश और मजबूत सेवा क्षेत्र का हवाला देते हुए 31 मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी में के अनुमान को 6.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया है।
यह पूर्वानुमान गुरूवार को जारी ADB के प्रमुख आर्थिक प्रकाशन, एशियन डेवलपमेंट आउटलुक (ADO) अप्रैल 24 के नवीनतम संस्करण में व्यक्त किया गया है। वित्त वर्ष 2024 में विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास पर उच्च पूंजीगत व्यय, निजी कॉर्पोरेट निवेश में वृद्धि, मजबूत सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन और उपभोक्ता विश्वास में सुधार को कारक बताया गया है।
कृषि उत्पादन में वृद्धि से वित्त वर्ष 2025 में विकास को गति मिलेगी
कहा गया है कि वस्तु निर्यात में सुधार और विनिर्माण उत्पादकता और कृषि उत्पादन में वृद्धि से वित्त वर्ष 2025 में विकास को गति मिलेगी। भारत में एडीबी के निदेशक मियो ओका ने कहा,वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद, भारत अपनी मजबूत घरेलू मांग और सहायक नीतियों के बल पर सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय में 17 प्रतिशत की वृद्धि के साथ-साथ राज्य सरकारों को धनराशि हस्तांतरण से बुनियादी ढांचे के निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
बैंक ऋण के तेजी से उठाव की सुविधा मिलेगी
वित्त वर्ष 2024 में मुद्रास्फीति के 4.6 प्रतिशत तक कम होने और वित्त वर्ष 2025 में 4.5 प्रतिशत तक रहने के साथ, मौद्रिक नीति कम प्रतिबंधात्मक हो सकती है, जिससे बैंक ऋण के तेजी से उठाव की सुविधा मिलेगी। वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की मांग बढ़ेगी जबकि विनिर्माण को कम इनपुट लागत दबाव से लाभ होगा। सामान्य मानसून की उम्मीद से कृषि क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ावा मिल सकती है।
बुनियादी ढांचे के निवेश के साथ वित्त वर्ष 2025 में इसमें तेजी आएगी
वित्त वर्ष 2024 के लिए राजकोषीय घाटे के सकल घरेलू उत्पाद के 5.1 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025 के लिए 4.5 प्रतिशत के लक्ष्य के साथ राजकोषीय समेकन पर सरकार का ध्यान, सरकार को वित्त वर्ष 2024 में सकल उधार को सकल घरेलू उत्पाद के 0.9 प्रतिशत तक कम करने और निजी क्षेत्र के ऋण के लिए और जगह बनाने में सक्षम करेगा। घरेलू मांग को पूरा करने के लिए आयात बढ़ने से भारत का चालू खाता घाटा मामूली रूप से बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 1.7 प्रतिशत हो सकता है । उद्योग और बुनियादी ढांचे के निवेश के साथ वित्त वर्ष 2025 में इसमें तेजी आएगी। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में कम वृद्धि से वस्तु निर्यात भी प्रभावित होगा, लेकिन वैश्विक विकास में सुधार के साथ वित्त वर्ष 2025 में इसमें तेजी आएगी।