नसोगी के बाल कुंवारी मां के मंदिर भवन लेंटर डालने में ग्रामीणों में दिखा आस्था का जूनून*

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वाचस्पति रयाल@नरेन्द्रनगर।पट्टी दोगी की ग्राम पंचायत मुंडाला के गांव नसोगी में लगभग 40 लाख से अधिक लागत से बन रहा मां बाल कुंवारी भगवती के मंदिर भवन छत के लेंटर डालने में ग्रामीणों का ही नहीं अगल-बगल के लोगों का आस्था का सैलाब लेंटर डालते वक्त उमड़ पड़ा।

   बताते चलें कि विकासखंड नरेंद्रनगर के पट्टी दोगी की ग्राम पंचायत मुंडाला में नसोगी गांव के ग्रामीण आपसी सहयोग से गांव में, मां भगवती बाल कुंवारी का मंदिर आपसी सहयोग से बना रहे हैं।

सोमवार को मंदिर भवन के छत पर लेंटर डालने के लिए, ग्राम नसोगी सहित अगल-बगल के गांव मुंडाला व गंगल्सी के ग्रामीणों का जबरदस्त सहयोग रहा।

पुरुष वर्ग के साथ-साथ महिलाओं में भी मंदिर निर्माण के कार्य करने को जबरदस्त आस्था का जुनून दिखाई दे रहा था।

50 से कम परिवारों के इस गांव ने, पिछले दिनों गांव में बैठक आयोजित कर,पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार का निर्णय लिया था।

लगभग 40 लाख से अधिक की लागत से बनने वाले इस मंदिर के गुम्बद के सतह के बड़े भवन पर सोमवार को छत का लेंटर डालने के कार्य से महिला-पुरुषों व बुजुर्गों के चेहरों पर आस्था की रौनक दिखाई दे रही थी।

इस नेक कार्य में बच्चों, बुजुर्गों, युवाओं व युवतियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

मंदिर निर्माण में लेंटर डालने से लेकर अन्य सभी कार्यों को करने में ग्रामीणों का नि: स्वार्थ भाव से सहयोग मां बाल कुंवारी के लिए समर्पित है।

आस्था से जुड़े इस कार्य में ग्रामीणों का सहयोग माता के चरणों में समर्पित था।

मंदिर निर्माण में ग्रामीणों का आपसी सहयोग व भाई-चारा प्रेरणा दायक था।

*इस मंदिर निर्माण के लिए वन मंत्री सुबोध उनियाल ने 1 लाख 50 हजार की धनराशि प्रदान की है।*

मंदिर निर्माण समिति के संयोजक गुणानंद रयाल, अध्यक्ष नागेन्द्र दत्त रयाल, हरिप्रसाद रयाल व कोषाध्यक्ष सोम दत्त रयाल ने कहा कि बहुत जल्द मां भगवती बाल कुंवारी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ मां की मूर्ति गर्भगृह में स्थापित की जावेगी।

इस मौके पर तारा दत्त रयाल, भगत राम रयाल, दर्शन लाल रयाल, जनार्दन, सूर्य प्रकाश रयाल, भारत सिंह चौहान, हुकम सिंह, विनोद सिंह, बख्तावर सिंह चौहान, संदीप रयाल,पंकज, कैलाश, मोहित, हिमांशु, विकास,दिगम्बरी रयाल, बृहस्पति, मुन्नी देवी, निर्मलादेवी, चंद्रकला,जगदेश्वरी , सीमा, दीपा,सुनीता, आदि महिला पुरुषों ने आस्था के इस कार्य में मनोयोग से कार्य कर अपने को धन्य माना।

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