Chaitra Navratri 2024 | नवरात्र के पहले दिन हुई शैलपुत्री की पूजा

Chaitra Navratri.
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 Chaitra Navratri 2024 | देहरादून। मंगलवार से नवरात्र आरंभ हो गए है। सबसे पहले  शैलपुत्री का विधिविधान के साथ पूजन किया गया। नवरात्र के लिए राजधानी देहरादून के मंदिरों में भव्य सजावट की गई है। शहर के मां डाट काली मंदिर, मां कालिका मंदिर सहित दून के मंदिरों में भक्त पहुंचे। वहीं   मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी हिन्दू नववर्ष एवं चैत्र नवरात्र के पावन अवसर पर अपने आवास पर मां आदिशक्ति भगवती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर शक्तिस्वरूप जगतजननी देवी मां से समस्त प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि एवं राज्य की उन्नति के लिए प्रार्थना की।

 नवरात्र पर मंदिरों और घरों में माता रानी का दरबार सजाया गया

नवरात्र  ने पहले दिन मंदिरों और घरों में माता रानी का दरबार सजाया गया। उत्तराखंड के  देवी मंदिरों में सुबह से भक्तों की तांता लगा है। शुभ मुहूर्त में घरों और मंदिरों में कलश स्थापना की गई। चार घंटे का मुहूर्त है। भक्तों ने मंदिरों के साथ घरों में विशेष तैयारी कर मां के दरबार को भव्य रूप से सजाया है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा हुई। इस बार मां घोड़े पर सवार होकर आई है।

 मायादेवी मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा

मंगलवार को सुबह से ही हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी कही जाने वाली मां मायादेवी मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मान्यता है कि नवरात्र के दिनों में मां महामाया देवी के दर्शन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। यहां आकर श्रद्धालु सच्चे मन से मां की उपासना करते हैं। हरिद्वार के महामाया देवी मंदिर को 52 शक्तिपीठों का केंद्र माना जाता है। इसी मंदिर के नाम पर पूर्व में हरिद्वार को मायापुरी के नाम से जाना जाता था. नवरात्र के अवसर पर यहां माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है। हरिद्वार की अधिष्ठात्री मां मायादेवी मंदिर में साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती की नाभि गिरी थी। इसलिए इसे संपूर्ण ब्रह्मांड का केंद्र भी माना जाता है। महामाया देवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी भी कहलाती हैं।

महामाया देवी मंदिर में किया जाता है विशेष तरह का श्रृंगार

नवरात्र पर महामाया देवी मंदिर में विशेष तरह का श्रृंगार किया जाता है। इस श्रृंगार को करने के लिए अलग-अलग तरह के फूल और अलग-अलग तरह के फलों की आवश्यकता पड़ती है। सुबह के समय माता को फूलों से सजाया जाता है। शाम को मां महामाया देवी का श्रृंगार अलग-अलग फलों से किया जाता है। माया देवी भगवती के 52 शक्तिपीठों का केंद्र है।

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